तुलसी विवाह के दिन करें ये खास उपाय, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न
By Satish Kumar
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हिंदू धर्म के अनुसार तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। दिवाली के बाद कार्तिक माह में तुलसी के पौधे की विशेष पूजा की जाती है और विवाह कराया जाता है। आपको बता दें कि तुलसी विवाह विशेष रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है। घर में तुलसी का पौधा उगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का प्रतीक है और इस खास दिन पर इन दोनों की शादी कराने से भक्तों को धार्मिक पुण्य मिलता है।
जानिए तुलसी विवाह की पूजा विधि
- तुलसी विवाह के मौके पर तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पत्थर से करवाया जाता है।
- तुलसी विवाह कराने के लिए शाम का समय शुभ माना जाता है। इस दिन परिवार के सभी लोगों को तुलसी विवाह में शामिल होने के लिए नये कपड़े पहनने चाहिये।
- विवाह कराने से पहले तुलसी के गमले पर गन्ने का मंडप बनाया जाता है उसे अच्छे से सजाया जाता है। फिर तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है।
- इसके बाद गमले में शालिग्राम जी को रखकर विवाह की रस्में शुरु की जाती हैं। इस दौरान विवाह के सारे नियमों का इस दौरान पालन किया जाता है।
तुलसी विवाह की सामग्री
- भगवान विष्णु की मूर्ति या शालीग्राम जी की फोटो
- सुगाह की सामग्री (जैसे -बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी, सिंदूर, मेहंदी आदि)
- फल और सब्जी में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद
- तुलसी का पौधा
- पूजा की चौकी
- लाल रंग का वस्त्र
- केले के पत्ते
- हल्दी की गांठ
- कलश
- नारियल
- कपूर, धूप
- चंदन