Raebareli News ! डीपीए ने जिलाधिकारी को एक दर्जन मांगों को लेकर बीडीओ को सौंपा ज्ञापन
दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजवंत सिंह ने बताया कि बीईओ सतांव की तरफ से शिक्षकों की समस्याओं पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सीसीएल में वसूली करने के बहाने लगातार उनको रिजेक्ट किया जा रहा है। इसके अलावा मेडिकल में भी लगातार आपत्ति लगाकर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है। अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराने वाले प्रभारियों के खिलाफ जांच का भय दिखाकर उनसे बीआरसी स्तर पर वसूली की जा रही है। डीएम को ज्ञापन देकर उन्होंने बताया कि सतांव बीईओ की मनमानी से शिक्षक मानसिक रूप से परेशान है और विद्यालय में बेहतर कार्य नहीं कर पा रहे हैं।
सतांव शाखा के ब्लॉक अध्यक्ष शीलभद्र शेखर ने बताया कि खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नहीं बैठती है यदि किसी शिक्षक को कोई समस्या होती है, तो वह उससे बात नहीं करती है। सम्बंधित शिक्षक द्वारा फोन किया जाता है तो वो फोन नहीं उठाती है और अवकाश के बाद बीआरसी पर भी नहीं मिलती है। जब कोई शिक्षक या शिक्षिका अवकाश हेतु आनलाईन आवेदन करता है तो उसका समयान्तर्गत निस्तारण न करके अपने कार्यालय स्टाफ द्वारा फोन करवाकर सम्बंधित शिक्षिका को कार्यालय बुलाकर उत्पीड़न किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसकी पुष्टि के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी की आईडी की जॉच कराये जाने की आवश्यकता है।
मंत्री मुनीश कुमार ने बताया कि सीसीएल बीएसए के स्तर से 24 घंटे के अंदर ही निस्तारित कर दिया जाता है, लेकिन बीईओ के लेवल पर चढावा का इंतजार किया जाता है। बीईओ कार्यालय के स्तर आवेदन की पेन्डेन्सी कई दिनों तक पड़ी रहती है। इसी तरह से शिक्षक समस्याओं हेतु संगठन के पदाधिकारियों द्वारा यदि समय मॉगा जाता है तो कहा जाता है कि कार्यालय समय के बाद मेरा निजी समय है। उन्होंने बताया कि निपुण भारत अभियान की सफलता के लिए सभी जगहों ओर समय-समय पर बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन सत्र 2024-25 में आजतक बीईओ व प्रधानाध्यापक बैठक का आयोजन नहीं किया गया है।
संगठन मंत्री प्रदीप सिंह ने बताया कि अन्य ब्लॉकों में क्लॉस एक और दो कि किताबें भेज दी गई है, लेकिन अभी सतांव में बीआरसी पर ही जमा है। परियोजना की तरफ से लाखों रूपये खर्च करके आईसीटी प्रयोगशाला स्थापित की गई है, लेकिन यह पूरी तरह से निष्क्रय है। उन्होंने कहा कि पूरे ब्लॉक में उनके संरक्षण में ही दर्जनों गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा विद्यालय में निरीक्षण के दौरान प्रधानाध्यापक की कुर्सी पर बैठकर बीईओ बच्चों के सामने ही आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करती है। शिक्षकों को बच्चों के सामने ही जलील करती है।